गुरुवार, 24 नवंबर 2011

        मन

मन एक आकाश है
जहाँ तारे हैं, सूरज है और चाँद भी 
एक चंचलता है 
आजादी उड़ने की है और स्थिरता भी 
एक आवाज है 
अपनी और प्रकृति की भी 
काश!
कि खो जाते मन में 
हो जाते मन के
छुट जाती चिंताएं 
भूल जाती इच्छाएं 
बस होता 
एक उन्मुक्त  गगन
एक खाली मन 
और होती हमारी ऊँची उड़ान 
मन से मन तक .