शुक्रवार, 2 सितंबर 2011

              जय गणेश देवा 
 बड़ी धूमधाम है, गणेश जी का आगमन जो हो चूका  है और साथ में है नए  गानों की धूम. गणेश जी प्रसन्न हो या  न  हो भक्त  तो प्रसन्न हैं. बजे गाजे  के  साथ मस्ती भी  खूब हो  रही है और  रात में ये  मस्ती और भी बढ़  जाती है. 
              मुझे गणेश सबसे  अच्छे   देवता लगते हैं  क्योंकि मई उन्हें हर साल राखी जो बांधती हूँ और  बदले  में कुछ  मांगती  भी हूँ लेकिन अभी  तक जिस  चीज  की ज्यादा  मांग की वो नहीं मिला. एस बार भी राखी  बांधी और धमकी  देकर अपना तोहफा मांगी .  क्योंकि वे ही ऐसे हैं  जिनसे मै सारी बाते  बोलती  हूँ और  झगड़ा भी करती हूँ. 
            उनको जो  देना है देंगे  पर  मैं उनसे अभी नाराज हूँ. एक  बात है, हम जब  भगवन को अपने बीच  मानने लगते हैं तो  सब कुछ आसन सा लगता है और हमारी  सोंच भी उनके दैवी स्वरूप  को छोड़ मानवी स्वरूप में  बदल जाती है.
    आशा है इस  बार वे सबकी सुनेगे.