शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

     मन चाहे सुन्दर फूलों से सजा रहे संसार
                              भौरों की गुंजन से कलियाँ मन ही मन
                                                                     मुसकाय
                रंग बिरंगी
                                                  तितली रानी  सुन्दर नाच दिखाए
                                                 उन्हें पकड़ने छोटे बच्चे दौड़े भागे जाये 








सोमवार, 30 अप्रैल 2012

अपनी बातें

अपनी बातें 

कुछ बातें खट्टी-मीठी हैं 
अपनी हैं औरों की भी हैं 
जीवन को पुलकित कर जाती 
ये बातें ऐसी होती हैं ।

कुछ पल जीवन में होते हैं 
जो बिलकुल अपने होते हैं 
इनमे जब अंकुर होते हैं 
वो जीवन में सुख देते हैं ।

कुछ सपने नए-नए होते
जो देखे जाते पाने को 
पूरे हुए तो अपने हैं 
न मिल पाए बेगाने हैं ।


सोमवार, 23 अप्रैल 2012

देवघर और बासुकीनाथ के बीच स्थित त्रिकुट पहाड़ का दृश्य 



 

रविवार, 19 फ़रवरी 2012

                                                     महाशिवरात्रि का पावन पर्व 

इस बार महाशिव रात्रि सोमवार को है और ये दिन शिव को बहुत पसंद है . बहुत ही शुभ दिन है यह और इस दिन शिव के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हो जाना सर्वोतम सुख है. फाल्गुन मॉस की कृष्ण चतुर्दसी की रात्रि को महा शिवरात्रि की संज्ञा दी गयी है।
                       इशान संहिता में बताया गया है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दसी की रात्रि को कल्प के आरंभ में सृस्तिकर्ता बरम्हा को सृस्ती निर्माण का अभिमान हो जाने के कारन जब भगवन विष्णु से उनका विवाद निश्चित   हो गया तो भगवन शिव सूर्य के सामान तेज लेकर लिंग के रूप में प्रकट हुए ।

गुरुवार, 24 नवंबर 2011

        मन

मन एक आकाश है
जहाँ तारे हैं, सूरज है और चाँद भी 
एक चंचलता है 
आजादी उड़ने की है और स्थिरता भी 
एक आवाज है 
अपनी और प्रकृति की भी 
काश!
कि खो जाते मन में 
हो जाते मन के
छुट जाती चिंताएं 
भूल जाती इच्छाएं 
बस होता 
एक उन्मुक्त  गगन
एक खाली मन 
और होती हमारी ऊँची उड़ान 
मन से मन तक . 
 
    





  

रविवार, 30 अक्तूबर 2011

surya shashti vrata

                                                     पवित्र व्रत सूर्य षष्ठी 
 आस्था के समुन्दर में डुबकी लगाते ही हमारा मन पवित्र हो जाता है. आज से बिहार और उत्तरप्रदेश का सबसे आस्थावान व्रत छठ शुरू हो चूका है . नहाय-खाय या फिर कद्दू-भात खाने से आरम्भ होने वाला ये व्रत काफी कठिन होता है. व्रती आज स्नान कर पवित्र होकर प्रथम आहार के रूप में कद्दू-भात खाती हैं . अगले दिन खरना होता है जिसमे रसिया जो गुड और चावल से बनता है उसे दिन भर निर्जला रह रात में खाती है. उसके अगले दिन भी निर्जला रह शाम को भगवन भाष्कर को अर्घ्य देती हैं पुनः अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं और तब प्रसाद से पारण करती हैं. इस तरह यह तीन दिनों के उपवास वाला कस्तपूर्ण व्रत पूर्ण होता है.